CBSE result declared एक तरफ जहां हर कोई इंस्ट्राग्राम और फेसबुक पर पोस्ट और रील्स अपलोड करने में लगा हुआ है, वहीं कुछ ऐसे बच्चे भी हैं, जो इन चीजों से कोसो दूर है। इनके ना तो फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कोई अकाउंट है और न ही इनको टेलीविजन देखना पसंद है।
अंबिकापुर। CBSE result declared एक तरफ जहां हर कोई इंस्ट्राग्राम और फेसबुक पर पोस्ट और रील्स अपलोड करने में लगा हुआ है, वहीं कुछ ऐसे बच्चे भी हैं, जो इन चीजों से कोसो दूर है। इनके ना तो फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कोई अकाउंट है और न ही इनको टेलीविजन देखना पसंद है। बस, यही खूबियां इनको दूसरे बच्चों से अलग करती हैं और टॉपर्स बनाती हैं। ये बच्चे और कोई नहीं अपने सरगुजा के वो होनहार हैं, जिन्होंने इस साल सीबीएसई कक्षा 10वीं और 12वीं में टॉप किया है।
CBSE result declared कौन कौन बने टॉपर्स
सीबीएसई ने मंगलवार को बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे जारी कर दिए है, जिसमें भिलाई की अयाती बिजोरिया ने 98 फीसदी अंक हासिल किए हैं। इसके अलावा शहर के दर्शित जैन ने 98.60 फीसदी अंक हासिल किया है। कक्षा 10वीं में इस साल 102 बच्चे 97 फीसदी तक अंक लेकर आए हैं। शहर के होनहार प्रसुन श्रीवास्तव और क्रिशांग साहरिया को 98.80 फीसदी अंक मिले हैं, वहीं आराध्य तिवारी, आयुष्मान शर्मा और ईशान कुमार ने 98.20 फीसदी अंक पाए हैं।
टॉपर्स – सीबीएसई – 12वीं
अयाती बिजोरिया – 98%
अब एक लक्ष्य दूर है आईआईटी
मेरी सफलता का पहला श्रेय पैरेंट्स और टीचर्स के लिए है। आखिर में मेरी मेहनत है। मेहनत ही इकलौता तरीका है, जिससे सफलता मिल सकती है। मैंने अपनी पढ़ाई के दौरान सोशल मीडिया और फोन से दूरी बना ली, ताकि सिर्फ पढ़ाई में कॉन्सन्ट्रेट कर सकूं। CBSE result declared आजकल दो तरह की पढ़ाई करनी होती है। स्कूल की पढ़ाई और प्रवेश परीक्षा। दोनों में ही टीसर्च ने खूब मोटिवेट किया। पढ़ाई के दौरान हफ्ते के दिन बांट लिए थे, कि कौन से दिन क्या पढऩा है। पैरेंट्स ने पढ़ाई का कभी पे्रशर नहीं दिया। मुझे लगता है कि हर बच्चे को एक अच्छा गुरु जरूर मिलना चाहिए। अपने जूनियर्स को कहना चाहती ,मन लगाकर पढ़ाई करने से सफलता जरूर मिलती है।
दर्शित जैन – 98.60
कामयाब सर्जन बनकर देश सेवा की इच्छा
देश सेवा के लिए मेडिकल की फील्ड एक बेहतर जरिया है। इसलिए कक्षा १२वीं में गणित के बजाए बायोलॉजी चुना। स्कूल के दौरान जब प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं, तब बोर्ड की तैयारी और बेहतर हो जाती है। ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ। जब कभी नीट की तैयारी और १२वीं बोर्ड की प्रीपरेशान ने थकाया, तब पैरेंट्स और दोस्तों से हौसला बढ़ाया। माता पिता डॉक्टर्स हैं, इसलिए उन्होंने कई टॉपिक्स को बेहतर तरीके से समझाने में बड़ी मदद की। एग्जाम के दौरान रात-रातभर पढऩा होता है, ऐसे में पैरेंट्स और दोस्त भी साथ जागा करते थे। मम्मी चाय बनाकर पिलाते तो पापा भी मेरे पास बैठकर मोटिवेट करते।
सक्षम अग्रवाल – 98.60
सीए नहीं, इकोनॉमिस्ट बनने की चाह
दसवीं के बाद मेेरे पास भी गणित और विज्ञान पढऩे का विकल्प मौजूद था, लेकिन मैंने मन की सुनी और कॉमर्स चुना। पिता बिजनेसमैन हैं और दीदी भी सीए की पढ़ाई कर रही है। ऐसे में हमेशा से इसी सेक्टर में कुछ बढिय़ा करने का इरादा था। पिता ने भी इसमें साथ दिया। अगले कुछ दिनों में दिल्ली यूनिवर्सिटी और इससे संबद्ध कॉलेजों में प्रवेश के लिए परीक्षा होनी है। CBSE result declared इसमें सलेक्ट होकर एसआरसीसी या सेंट स्टेफन कॉलेज से इकोनॉमिक्स ऑनर्स की पढ़ाई करना चाहता हूं। हर फील्ड अच्छी होती है बशर्त, उसमें पूरी शिद्दत से जुटना होता है। एक कामयाब इकोनॉमिस्ट बनकर देश सेवा करने की इच्छा है।
टॉपर्स – सीबीएसई – 10वीं –
क्रिशांग सहरिया – 98.80%
छोटी उम्र में दो किताबें, यूट्यूब चैनल भी
सफलता के लिए लगन सबसे जरूरी होती है। मैंने १०वीं की शुरुआत से ही टारगेट फिक्स कर लिया था कि हर रोज स्कूल के बाद ३ से ४ घंटे घर में भी पढ़ाई करनी है। इसमें एनसीईआरटी किताबों ने बहुत मदद की। हमेशा से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिग में रुचि है, इसलिए ९वीं से ही जेईई की तैयारी शुरू कर दी है। ज्यादा किताबे खरीदने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले एनसीईआरटी की किताबों से ही पढ़ें। कोडिंग में रुचि है, इसलिए शुरुआत में ही मैंने अपने स्तर पर दो वेबसाइट भी तैयार की। म्युजिक का भी शौक है। गाने बनाना पसंद है, जिसे मैं अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड करता हूं।
किताबें भी लिखी है, डिटेक्टिव क्रिड्स बाय क्रिशांग सहारिया।
प्रसुन श्रीवास्तव – 98.80%
पैरेंट्स का नाम रौशन करने की चाह
प्रसुन का सिर्फ एक ही मकसद है, जेईई। इसके लिए १०वीं से ही तैयारी भी शुरू कर दी। पिता राजनांदगांव में रेवेन्यू इंस्पेक्टर के पद पर हैं, जिन्होंने हर मोड़ पर खुश रहने की सीख दी। परिवार ने कभी भी माक्र्स की उलझन में नहीं उलछाया, बल्कि हर कदम पर सहयोग किया। रोजाना ३ से ४ घंटों की एक्स्ट्रा मेहनत का परिणाम है कि मुझे इतने अच्छे अंक मिले। मेरे भैया भी ट्रीपल आईटी रायपुर से सीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। उनको देखकर भी हर परीक्षा में अव्वल रहने और कामयाब होकर माता-पिता का नाम रौशन करने की प्रेरणा मिली।
आराध्य तिवारी – 98.20%
बुजुर्गों का साथ बहुत जरूरी
मेरा मानना है कि घर में बुजुर्गों का होना बेहद जरूरी है। मेरे मम्मी-पापा दोनों ही टीसर्च है, जिनका मेरी पढ़ाइ और सफलता में बड़ा योगदान है, मगर दादाजी और दादीजी ने भी मेरी पढ़ाई में बहुत सहयोग किया। सुबह मैं उनके पास बैठकर बातें करता हूं, जिससे पॉजीटिव वाइब आती है। वहीं रात को उनके पास जाकर दिनभर की पढ़ाई की हाल सुनाता हूं। उनकी दुआ से मुझे यह सफलता मिली। मेरा मानना है कि, कम से कम १२वीं तक बच्चों को मोबाइल फोन और सोशल मीडिया से दूर रहना चाहिए जैसा कि मैं रहा। इसके अलावा लगन से की गई पढ़ाई से यह मुकाम दिलाया।