अंबिकापुर . सरगुजा जिले के सिलसिला गांव में सोमवार को ह्दय विदायक घटना सामने आई। Sarguja big incident यहां डबरी के पास खेल रहे दो मासूमों की पानी में डूबने से मौत हो गई। 5 साल का शिवागिरी और 4 साल का विनोद गिरी घर के पास बनी डबरी के समीप खेल रहे थे। तभी बच्चों खेलते-खेलते पानी में आ गए और डूबने से उनकी मौत हो गई। घटना के बाद क्षेत्र में चीख-पुकार मच गई। दोनों मृत बच्चों को डबरी से निकालकर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
इस सबके बीच सरकारी सिस्टम का घिनौना चेहरा भी सामने आया। परिजनों का आरोप है कि, पोस्टमार्टन करने वाले डॉक्टर और स्टाफ ने मृत बच्चों के अभिभावकों से 10-10 हजार रुपए यानी कुल २० हजार रुपए की रिश्वत मांगी। अपने जिगर के टुकड़ों को खो चुके पालकों का जहां रो-रोकर बुरा हाल था, वहीं घटिया सिस्टम ने भी उनको अंदर से तोड़ दिया। मृत बच्चों के साथ आए लोगो ने डॉक्टर की करतूत को कैमरे में कैद करने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टर कैमरा देखकर वहां से मुंह छिपाता हुआ भागने लगा।
Sarguja big incident बड़े पिता ने निकाले शव
बताया जा रहा है कि, दोनों मासूम घर के पास बनी डबरी में खेल रहे थे। इन्हें बच्चों के नाना ने भी खेलते हुए देखा और डांटकर घर जाने के लिए कहा। बच्चे फिर भी वहां खेलते रहे। थोड़ी देर बाद बच्चों के बड़े पिता वहां से गुजर रहे थे तो उन्होंने देखा कि दोनों बच्चों का शव डबरी में तैर रहा है। इस समय करीब 6.30 बज रहे थे। बच्चों को मृत देखकर बड़े पिता का सीना फट गया। उन्होंने दोनों बच्चों को पानी से निकाला और करीब 7 बजे प्राथमिक स्चास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां स्वास्थ्य केंद्र स्टाफ ने बच्चों को एक्जामिन करने के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। Sarguja big incident इसी दौरान स्वास्थ्य केंद्र के स्टाफ ने परिजनों को पोस्टमार्टम करने के एवज में 20 हजार रुपए की डिमांड की।
घर लेकर आ गए बच्चों का शव
मेडिकल स्टाफ द्वारा पोस्टमार्टम के लिए २० हजार रुपए मांगने की बात सुनकर परिजन बच्चों का शव लेकर घर आ गए। कुछ समय बाद इसकी सूचना पुलिस को मिली। पुलिस दोनों मासूमों का शव वापस स्वास्थ्य केंद्र लेकर आई और फिर पोस्टमार्टम किया गया। अब कायदे से स्वास्थ्य केंद्र प्रबंधन को दोनों बच्चों का शव उनके घर तक पहुंचाने के लिए शव वाहन देना चाहिए था, लेकिन यहां भी मेडिकल स्टाफ ने अपनी विकृत मानसिकता का परिचय दिया और शव वाहन नहीं देने की बात कह दी। लिहाजा, दो बच्चों की लाश को परिजन मोटर साइकिल पर लेकर घर पहुंचे। यह दृश्य देखकर हर किसी की आंखों में आंसू आ गए वहीं सिस्टम के लिए आक्रोश भी नजर आया।
Cmho ने दी अपनी सफाई
Cmho डॉ. पीएस मारको ने कहा कि, शव वाहन आने में समय लगने की बात कही गइ थी। हमारे स्टाफ ने उन्हें बताया था कि ३० मिनट में गाड़ी आएगी, थोड़ा इंतजार कर लीजिए। लेकिन परिजनों ने बच्चों को अपने वाहन से ले जाने की बात कही। इसके अलावा डॉक्टरों ने परिजनों से पैसों की डिमांग नहीं की है।
बल्कि परिजनों ने कहा कि बिना चीर-फाड़ के हमें बॉडी सौंप दीजिए, बदले में हम आपको कुछ रुपए दे देंगे। जिसको अब परिजन तोड़मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। पहले परिजन पोस्टमार्टम नहीं करवाना चाहते थे, लेकिन जब उन्हें बताया कि पानी में डूबने के दौरान मौत होने पर शासन से क्षतिपूर्ति राशि मिलती है तो वे पोस्टमार्टम कराने मान गए। सभी निराधार आरोप लगाए गए हैं।