Railway News: अंबिकापुर-रेणुकूट रेलमार्ग से जनता से लेकर सरकार को होंगे ये फायदे, जबकि बरवाडीह रेल लाइन कम लाभकारी, जानें सामने आए पूरे तथ्य

On: Saturday, July 26, 2025 2:16 PM
Railway news: अंबिकापुर-रेणुकूट रेलमार्ग से जनता से लेकर सरकार को होंगे ये फायदे, जबकि बरवाडीह रेल लाइन कम लाभकारी, जानें सामने आए पूरे तथ्य
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Ambikapur-Renukoot rail line: रेलवे बोर्ड द्वारा अंबिकापुर से रेणुकूट, विंढमगंज, गढ़वा रोड, बरवाडीह, पत्थलगांव-सरडेगा और कोरबा तक रेल परिचालन को बढ़ाने के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे की मंजूरी दे दी गई है।

सरगुजा। Railway News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। अब, पिछले साल 26 जुलाई को छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन प्रस्ताव ने इस उम्मीद को और भी मजबूत किया है। इस परियोजना का भूमि सर्वेक्षण सफलता से पूरा हो चुका है और 14 अक्टूबर 2023 को फाइनल लोकेशन सर्वे रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेज दी गई है। अब राज्य सरकार और अन्य संबंधित संस्थाओं से अनुमोदन की प्रक्रिया जारी है।

अगर इस परियोजना को आगामी वित्तीय वर्ष 2026-27 के बजट में शामिल किया जाता है, तो यह छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के रजत जयंती वर्ष में एक बड़ी उपलब्धि होगी। इस रेल लाइन से सरगुजा क्षेत्र सीधे देश की राजधानी और बड़े महानगरों से जुड़ जाएगा, जिससे यहां के आदिवासी और पिछड़े इलाकों का विकास होगा।

Railway News: स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

यह रेल लाइन 152 किलोमीटर लंबी होगी और इसकी लागत लगभग 8217 करोड़ रुपये है। इस रेल लाइन के निर्माण से उत्तर छत्तीसगढ़ में कोयला, बॉक्साइट, कृषि उत्पादों और अन्य व्यावसायिक फसलों का परिवहन आसान होगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।

इसके साथ ही, यह धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देगी, क्योंकि यह रेल मार्ग राम वन गमन से होते हुए जगन्नाथ पुरी से लेकर बाबा विश्वनाथ अयोध्या तक पहुंचेगा, जिससे धार्मिक यात्रियों को और अधिक सुविधा होगी। इस रेल परियोजना से न सिर्फ क्षेत्रीय विकास होगा, बल्कि यह छत्तीसगढ़ को देश के अन्य प्रमुख शहरों से कनेक्ट करने का एक अहम कदम साबित होगा।

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अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन: सरगुजा को मिलेगी देशभर से सीधी कनेक्टिविटी

रेलवे बोर्ड द्वारा अंबिकापुर से रेणुकूट, विंढमगंज, गढ़वा रोड, बरवाडीह, पत्थलगांव-सरडेगा और कोरबा तक रेल परिचालन को बढ़ाने के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे की मंजूरी दे दी गई है। इनमें से रेणुकूट और बरवाडीह रूट का सर्वे वर्ष 2023 में रेलवे बोर्ड को जमा कर दिया गया है।

तकनीकी रिपोर्ट के अनुसार अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन सबसे बेहतर और लाभकारी पाई गई है। यह रेल लाइन 19.50 मिलियन टन प्रतिवर्ष (MTPA) संभावित माल ढुलाई, 19.5% आंतरिक लाभ दर (EIRR) और 5.51% वित्तीय लाभ दर (FIRR) जैसे मजबूत आर्थिक मानकों को पूरा करती है। यह मार्ग कम दूरी और कम लागत वाला भी है, जिससे इसे सबसे व्यावहारिक और उपयोगी माना गया है।

414 गांवों के करीब 10 लाख लोग सीधे लाभान्वित होंगे

इस रेल लाइन के 25 किलोमीटर के दायरे में आने वाले लगभग 414 गांवों के करीब 10 लाख लोग सीधे लाभान्वित होंगे। उत्तर छत्तीसगढ़ के इस इलाके से हर दिन करीब 15,000 लोग सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं। रेल लाइन बनने से इन्हें तेज, सस्ती और सुविधाजनक यात्रा का विकल्प मिलेगा।

दिल्ली, वाराणसी, प्रयागराज, लखनऊ, अयोध्या, पटना और कोलकाता जैसे बड़े शहरों के लिए सीधी और सबसे कम दूरी की कनेक्टिविटी उपलब्ध हो सकेगी। इससे पर्यटन, शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इस मार्ग में सड़क नेटवर्क पहले से ही बेहतर स्थिति में है और पर्यावरण मंजूरी की दिशा में भी कोई बड़ी बाधा नहीं है। केवल 14 किलोमीटर मार्ग वन क्षेत्र से होकर गुजरता है। क्षेत्र में मौजूद 32 कोल ब्लॉक में करीब 7200 मिलियन टन कोयला भंडार है और साथ ही यह बॉक्साइट ढुलाई के लिए भी बेहद उपयुक्त मार्ग माना गया है।

नक्षत्रम फाउंडेशन और इन्ट्रोसोफ्ट सॉल्यूशन कंपनी द्वारा किए गए दो सर्वे में भी अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन को सभी पहलुओं से सबसे उपयुक्त, सुरक्षित और कम खर्चीला पाया गया है। यह रेल लाइन उत्तर छत्तीसगढ़ के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है और पूरे क्षेत्र के लोगों के लिए तरक्की के नए रास्ते खोल सकती है।

Railway News: पिछले 78 सालों में भी यह काम अधूरा

अंबिकापुर से बरवाडीह तक रेल लाइन बिछाने की बात आजादी से पहले से ही चल रही है। इस रेल लाइन का अब तक 12 से ज्यादा बार सर्वे हो चुका है, लेकिन आज तक इसका काम शुरू नहीं हो पाया है। रेलवे ने हर बार इसे घाटे वाला प्रोजेक्ट बताकर रोक दिया। योजना आयोग ने भी इसे कभी अपनी योजना में शामिल नहीं किया।

पिछले 78 सालों में देश में 18 सरकारें और 41 रेल मंत्री आए, लेकिन यह रेल लाइन सर्वे से आगे नहीं बढ़ सकी। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कई मुख्यमंत्री बदले, लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ। रेलवे ने जहाँ डबल लाइन का सर्वे 10 महीने में पूरा कर लिया, वहीं यह सिंगल लाइन सर्वे दो साल से अधूरा है।

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पर्यावरण मंजूरी भी इस प्रोजेक्ट में बड़ी रुकावट

रेलवे की एक कमेटी ने यह भी कहा है कि एक ही प्रोजेक्ट ट्रैफिक के लिहाज से काफी है। इसके अलावा, पर्यावरण मंजूरी भी इस प्रोजेक्ट में बड़ी रुकावट बनी हुई है, क्योंकि यह लाइन कई अभ्यारण्यों और नेशनल पार्कों से होकर गुजरती है। ज्यादातर रेल मंत्रियों ने इस प्रोजेक्ट को कोयला ढुलाई के लिए जरूरी बताया, लेकिन SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) ने कहा कि उन्हें इस लाइन से कोई फायदा नहीं दिखता। पीपीपी मॉडल और छत्तीसगढ़ रेल कॉरपोरेशन ने भी इसे बनाने में असमर्थता जताई है।

इस क्षेत्र में नक्सली हिंसा भी एक बड़ा कारण है। पिछले दशक में 20 से ज्यादा हमले हुए, कई बार ट्रैक उड़ा दिया गया और ट्रेन लूट की घटनाएं हुईं। यह इलाका अपराधियों के लिए सेफ जोन बन गया है। इन सबके बावजूद, सारे आंकड़े और तर्क अंबिकापुर से रेणुकूट तक नई रेल लाइन के पक्ष में हैं। इसके जरिए अंबिकापुर को बड़े रेल नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है। अब जरुरत है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए और आने वाले बजट में अंबिकापुर-रेणुकूट रेल लाइन के लिए पैसे का प्रावधान करे। तभी यह सपना हकीकत बन सकेगा।

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अंबिकापुर रेणुकूट प्रस्तावित रेल मार्ग से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

  1. यह रेल लाइन अंबिकापुर, सूरजपुर, बलरामपुर को यूपी के रेणुकूट से जोड़ेगी, जिससे दिल्ली, वाराणसी, प्रयागराज, लखनऊ आदि शहरों की दूरी कम होगी।
  2. मार्ग के 25 किमी क्षेत्र में 414 ग्राम पंचायतें और 3 नगर हैं, जिनकी आबादी 10 लाख से ज्यादा है। रास्ते में कोई बड़ा अवरोध नहीं है।
  3. पहला सर्वे चेन्नई की नक्षत्रम फाउंडेशन ने किया था, जिसमें रिटर्न 14% आंका गया था।
  4. अक्टूबर 2023 में रेलवे बोर्ड को DPR सौंपा गया। दूरी 152.30 किमी, अनुमानित लागत ₹8217.97 करोड़, ट्रैफिक 19.50 MTPA, EIRR – 19.50% और FIRR – 5.51% है।
  5. क्षेत्र में 7200 मिलियन टन कोयला भंडार है, साथ ही बॉक्साइट, अनाज व अन्य व्यापारिक वस्तुओं की ढुलाई के लिए भी उपयुक्त है।
  6. यह रेल मार्ग सरगुजा को सीधे दिल्ली व वाराणसी से जोड़ेगा और जनजातीय उत्पादों को बड़ा बाजार मिलेगा।
  7. यह धार्मिक स्थलों जैसे अयोध्या, काशी व जगन्नाथपुरी को जोड़कर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा।
  8. ओडिशा की पुरानी मांग (झारसुगुड़ा-अंबिकापुर-प्रयागराज लिंक) भी इससे पूरी होगी।
  9. कोयला उत्पादक क्षेत्रों (सरगुजा-सिंगरौली) को जोड़कर यह मार्ग ऊर्जा कॉरिडोर की दृष्टि से फायदेमंद होगा।
  10. यह मार्ग अन्य विकल्पों की तुलना में छोटा, सस्ता, अधिक उपयोगी व व्यावहारिक है।
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