Tomar Bandhu: रायपुर में हिस्ट्रीशीटर तोमर बंधुओं पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी। हाईकोर्ट ने पुलिस की कुर्की याचिका स्वीकार कर ली है। अब उनकी चार प्रॉपर्टी की कुर्की के लिए रायपुर कलेक्टर को प्रतिवेदन भेजा गया है।
रायपुर। Tomar Bandhu: हिस्ट्रीशीटर तोमर भाइयों को पुलिस अब तक पकड़ नहीं पाई है। इसी बीच हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। पुलिस की ओर से सूदखोर हिस्ट्रीशीटर तोमर बंधुओं की संपत्ति कुर्की की याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
जानकारी के अनुसार, पुलिस की ओर से सूदखोर हिस्ट्रीशीटर तोमर बंधुओं की संपत्ति कुर्की की याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अब उनकी चार प्रॉपर्टी की कुर्की के लिए रायपुर कलेक्टर को प्रतिवेदन भेजा गया है। बताया जा रहा है कि फरार चल रहे तोमर बंधुओं के खिलाफ उद्घोषणा की अंतिम तारीख कल तय की गई है। अगर आरोपी कोर्ट में पेश नहीं होते हैं तो उनकी संपत्तियों पर कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
Tomar Bandhu: 19 साल से सक्रिय हैं दोनों हिस्ट्रीशीटर
वर्ष – आरोप
- 2006 – आजादचौक इलाके में कारोबारी पर चाकू से हमला
- 2010 – गुढ़ियारी इलाके में उगाही, गुंडागर्दी
- 2013 – कोतवाली इलाके में युवक की हत्या
- 2015 – अमलीडीह इलाके में महिला से अप्राकृतिक कृत्य
- 2017 – भाठागांव इलाके में सूदखोरी, गुंडागर्दी, कर्जा एक्ट
- 2018 – पुरानीबस्ती इलाके में सूदखोरी, धोखाधड़ी, कर्जा एक्ट
- 2019 – कोतवाली इलाके में सूदखोरी, ब्लैकमेलिंग, गुंडागर्दी, आर्म्स एक्ट
- 2024 – गुढ़ियारी इलाके में अपहरण, ब्लैकमेलिंग, गुंडागर्दी, मारपीट
- 2024 – तेलीबांधा इलाके में गुंडागर्दी, मारपीट,
- 2025 – तेलीबांधा में गुंडागर्दी, मारपीट,
- 2025 – पुरानीबस्ती में ब्लैकमेलिंग, वसूली, गुंडागर्दी, कर्जा एक्ट आदि।
सोचने वाली बात है कि इतने अपराध दर्ज होने के बाद किसी में सजा ही नहीं हुई है। इससे कई सवाल खड़े हो गए हैं। क्या इनके मामलों की सही ढंग से जांच नहीं हुई? पुलिस के चालान में खामियां रह जाती हैं? या गवाहों को डराया-धमकाया जाता है? क्या उन्हें बयान देने से रोका जाता है?
बड़े नेताओं से हैं सूदखोर के संबंध
शहर के कई बड़े नेताओं से सूदखोर वीरेंद्र के संबंध हैं। मंत्री, विधायक आदि के साथ उसके कई पोस्टर शहर में लगते थे। इसके चलते कर्ज लेने वाले इनसे भयभीत रहते थे और ब्याज के नाम पर जितना पैसा मांगते थे, उतना दे देते थे। थानों में शिकायत करने से भी डरते थे।