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कोर्ट का बड़ा निर्णय… दत्तक पिता को नहीं मिलेगा अविवाहित बेटी की संपत्ति पर अधिकार

On: Wednesday, June 11, 2025 4:24 PM
कोर्ट का बड़ा निर्णय… दत्तक पिता को नहीं मिलेगा अविवाहित बेटी की संपत्ति पर अधिकार
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High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि दत्तक पिता अविवाहित दत्तक पुत्री की संपत्ति के उत्तराधिकारी नहीं हो सकते। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए याचिका खारिज कर दी और कहा कि केवल नॉमिनी होना उत्तराधिकार का आधार नहीं बनता।

Bilaspur High Court: अविवाहित पुत्री की संपत्ति पर अधिकार को लेकर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। दत्तक पिता द्वारा दाखिल याचिका को कोर्ट ने खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि वह अपनी अविवाहित दत्तक पुत्री की संपत्ति के उत्तराधिकारी नहीं हो सकते। यह निर्णय जस्टिस एन. के. व्यास की सिंगल बेंच ने सुनाया है।

Bilaspur High Court: याचिका का दावा

दरअसल, रायगढ़ जिले के पुसौर निवासी खितिभूषण पटेल ने याचिका दायर कर दावा किया था कि उन्होंने अपने छोटे भाई पंचराम पटेल की पुत्री ज्योति पटेल को विधिवत गोद लिया था और उसका पालन-पोषण किया। पंचराम पटेल पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे, जिनकी मृत्यु 1999 में हो गई थी। उनकी पत्नी फुलकुमारी पटेल 1993 में ससुराल छोड़कर चली गई थीं। इसके बाद ज्योति अपने दादा कमलधर पटेल के साथ रहने लगी। दादा की मृत्यु के बाद खितिभूषण ने ज्योति को गोद लेकर उसकी परवरिश की।

इस मामले में नहीं मिल सकता अधिकार

खितिभूषण पटेल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अविवाहित पुत्री ज्योति की चल-अचल संपत्तियों—जैसे बैंक, बीमा आदि पर उत्तराधिकारी होने का दावा किया। हालांकि, कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दस्तावेज़ों में नामिनी होने मात्र से कोई उत्तराधिकारी नहीं बन जाता और दत्तक पिता को संपत्ति का उत्तराधिकार नहीं मिल सकता। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि उत्तराधिकार कानून के तहत दत्तक पिता को इस मामले में अधिकार नहीं मिल सकता।

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ज्योति पटेल को पुलिस विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली। दुर्भाग्यवश 17 सितंबर 2014 को अविवाहित अवस्था में ज्योति की मृत्यु हो गई। मृतक दत्तक पुत्री के सभी बैंक, बीमा पॉलिसी एवं अन्य दस्तावेज में दत्तक पिता ही नामनी है। बेटी की मौत के बाद उसके खाते में जमा राशि प्राप्त करने दत्तक पिता ने सिविल न्यायालय में आवेदन पेश किया था। आवेदन निरस्त होने के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील पेश की थी।

संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त करने की हकदार होगी मां

Bilaspur High Court: बता दें कि मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, नामित व्यक्ति बीमा कंपनी द्बारा जारी पॉलिसी के तहत राशि या बैंक में बचत खाते या सावधि जमा रसीद में जमा राशि प्राप्त करने का हकदार है, लेकिन उनका वितरण उनके उत्तराधिकार कानून के अनुसार होगा।

चूंकि पक्षकार हिदू है, इसलिए मृतक की संपत्ति का वितरण हिदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत होगा और मृतक महिला है, इसलिए उसकी संपत्ति अधिनियम 1956 की धारा 15 और 16 के अनुसार वितरित की जाएगी। अधिनियम की धारा 15 की श्रेणी सी में आने के कारण उपधारा (1) में निर्दिष्ट कानूनी उत्तराधिकारी, मां बीमा कंपनी या बैंक या नियोक्ता यानी पुलिस विभाग के पास जमा संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त करने की हकदार होगी।

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