Bilaspur Bribery Case: विधवा शिक्षिका से 1.34 लाख की मांगी रिश्वत, कलेक्टर ने BEO और क्लर्क को किया निलंबित, जानें मामला

On: Sunday, March 23, 2025 9:35 AM
Bilaspur Bribery Case: विधवा शिक्षिका से 1.34 लाख की मांगी रिश्वत, कलेक्टर ने BEO और क्लर्क को किया निलंबित, जानें मामला
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Bilaspur Bribery Case: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। कोटा विकासखंड के बीईओ और क्लर्क पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई के आदेश दिए है, तो आइए आपको पूरे मामले की विस्तार से जानकारी देते हैं.

बिलासपुर। Bilaspur Bribery Case: बिलासपुर जिले में एक विधवा शिक्षिका से पति के फंड के बदले 1.24 लाख रुपए की रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है। कलेक्टर अवनीश शरण ने इस मामले में कार्रवाई की है। शिक्षा विभाग के क्लर्क को सस्पेंड कर दिया गया है और बीईओ को हटा दिया गया है। यह पूरा मामला कोटा विकासखंड का है।

क्या है पूरा मामला?

कोटा विकासखंड की शिक्षिका नीलम भारद्वाज ने दो सप्ताह पूर्व कलेक्टर द्वारा आयोजित कर्मचारी जनदर्शन में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके स्वर्गीय शिक्षक पति के देहांत के बाद उनके स्वत्वों के भुगतान के लिए 1.24 लाख की रिश्वत मांगी जा रही है। शिक्षिका के अनुसार, इस मामले की जानकारी बीईओ को भी दी गई थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।

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कलेक्टर ने की कार्रवाई

कलेक्टर अवनीश शरण ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तत्काल मामले की जांच के आदेश दिए। जांच में शिक्षिका के आरोप सही पाए गए। रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि बीईओ विजय पांडे और लिपिक एकादशी पोर्ते ने मिलकर जानबूझकर शिक्षिका को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और बिना रिश्वत के स्वत्वों का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए बीईओ विजय पांडे को उनके पद से हटा दिया और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। जांच पूरी होने तक उन्हें खुरदूर कोटा में प्राचार्य पद पर कार्य करने के लिए निर्देशित किया गया है। वहीं, लिपिक एकादशी पोर्ते को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय रतनपुर हायर सेकेंडरी स्कूल में निर्धारित किया गया है।

शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार पर सवाल

यह मामला शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है। एक शिक्षक की मृत्यु के बाद उनके परिवार को रिश्वत देने के लिए मजबूर करना नैतिकता और कानून दोनों के खिलाफ है। बता दें कि इस घटना के बाद विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मांग उठने की संभावना है।

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