Bulldozer Action: अंबिकापुर के चोरका कछार में वन भूमि पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए प्रशासन ने बुलडोजर चलाया है। 500 से अधिक पुलिस बल की मौजूदगी में 43 मकानों को गिराया गया। मौके पर अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है।
अंबिकापुर। Bulldozer Action: सरकारी जमीनों पर कब्जा करने का खेल कोई नया नहीं है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक राजस्व और वन भूमि पर अवैध कब्जे की घटनाएं सामने आती रही हैं। अक्सर इन अतिक्रमणों में संबंधित विभागों की मिलीभगत की भी शिकायतें रहती हैं। इसी कड़ी में अब नगर के वार्ड क्रमांक 21 स्थित चोरका कछार में वन विभाग की जमीन पर वर्षों से किए गए अतिक्रमण पर प्रशासन ने बड़ा एक्शन लिया है।
शनिवार सुबह प्रशासन, वन विभाग, नगर निगम और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने 500 से अधिक पुलिस बल की तैनाती के साथ अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया। इस दौरान करीब 43 अवैध मकानों को जमींदोज किया गया। बता दें कि इससे पहले अतिक्रमणकारियों को वन विभाग द्वारा नोटिस जारी कर स्वेच्छा से कब्जा हटाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन कोई पालन न होने पर यह बड़ी कार्रवाई की गई।
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सुबह 4 बजे से शुरू हुआ बुलडोजर एक्शन
बता दें कि शनिवार सुबह लगभग 4 बजे जिले के विभिन्न हिस्सों से अफसर, पुलिस बल और अन्य अमले कलेक्टोरेट चौक के पास एकत्र हुए। इसके बाद संयुक्त टीम मौके पर पहुंची और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई। मौके पर अफरा-तफरी और गहमागहमी का माहौल बना रहा। कई ग्रामीण अपने मकानों को टूटते देख भावुक हो उठे। बच्चे और बुजुर्गों की आंखों में आंसू नजर आए, लेकिन प्रशासन अपने निर्णय पर अडिग रहा।

सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच कार्रवाई
इस पूरी कार्रवाई के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि अतिक्रमण की गई भूमि पूर्णतः वन विभाग की है और इस पर कोई भी निर्माण गैरकानूनी है। ऐसे में नियमों के तहत कार्यवाही अनिवार्य थी।
पूर्व में जारी किया गया था नोटिस
जानकारी के मुताबिक, वनमंडलाधिकारी द्वारा ग्रामीणों को पहले ही नोटिस देकर अतिक्रमण हटाने को कहा गया था। इसके बावजूद कब्जा नहीं हटाने पर यह सख्त कदम उठाया गया।

धोखे में रखकर बेची गई थी जमीन
चोरका कछार क्षेत्र में जमीन के एक विवादित मामले ने तूल पकड़ लिया है। खबर नवीस की टीम जब मौके पर पहुँची, तो वहां के कई निवासियों ने आरोप लगाते हुए बताया कि लगभग 10 से 12 साल पहले उन्हें जो जमीन बेची गई थी, वह कथित रूप से वन विभाग के एक कर्मचारी के भाई तन्नू ने बेची थी। लोगों ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें ये जमीने टुकड़ों में 10 से 12 साल पहले बेचीं थी।
निवासी का दावा है कि तन्नू का भाई रज्जु, वन विभाग में कार्यरत है और इसी आधार पर उन्होंने जमीन पर भरोसा करके खरीददारी की थी। लोगों ने आरोप लगाया कि विभाग के कर्मचारी और उनके परिचितों ने जानबूझकर उन्हें धोखे में रखकर यह ज़मीन बेची। हालांकि खबर नवीस इन आरोपों की पुष्टि नहीं करता है।
विवादित जमीन पर पीएम आवास योजना के तहत बना मकान
जांच के दौरान खबर नवीस की टीम की नजर एक ऐसे मकान पर पड़ी जो प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि इस योजना के अंतर्गत मकान तभी स्वीकृत किया जाता है जब ज़मीन का स्वामित्व स्पष्ट और वैध हो। सचिव, जनपद और जिला पंचायत की टीम इसका निरीक्षण करती है कि मकान भूमि स्वामी हक की हो। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि कैसे एक विवादित या अवैध मानी जा रही जमीन पर पीएम आवास योजना के तहत निर्माण हो गया।
अवैध बस्ती को बिजली-पानी की सुविधा कैसे मिली?
मिली जानकारी के अनुसार, जिस क्षेत्र को अवैध बताया जा रहा है, वहां नगर निगम की ओर से बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं दी गई हैं। जबकि नियमों के अनुसार, प्रशासन अवैध रूप से बसाई गई बस्तियों को ऐसी सुविधाएं नहीं देता।
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अंबिकापुर नगर निगम ने इस अवैध क्षेत्र को किस आधार पर सुविधाएं मुहैया कराई? इस पूरे मामले की जांच जरूरी है, ताकि जमीन घोटाले और सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग पर से पर्दा उठाया जा सके।
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42 लोगों को नोटिस दिया गया था
अंबिकापुर रेंजर निखिल पैकरा ने बताया कि वनभूमि RF 2581 में स्टांप पेपर में जमीन की खरीद-बिक्री की शिकायत पर जांच की गई तो यहां अवैध अतिक्रमण पाया गया। कुल 42 लोगों को नोटिस दिया गया था। इनमें 3 लोगों ने वन अधिकार पत्र दिखाया, लेकिन 39 परिवारों ने कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया। सभी की बेदखली की कार्रवाई की जा रही है। आज कार्रवाई पूरी कर ली जाएगी।