CG Liquor Scam: सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अनवर ढेबर की जमानत याचिका खारिज कर दी। जांच एजेंसियों के अनुसार, इस घोटाले में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत भी उजागर हुई है।
नई दिल्ली/रायपुर। CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में हुए बहुचर्चित शराब घोटाले के मुख्य आरोपी अनवर ढेबर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। अनवर ढेबर पर करोड़ों के घोटाले का आरोप है, जिसमें वह राज्य में बने एक कथित शराब सिंडिकेट का मास्टरमाइंड बताया गया है। जांच एजेंसियों के अनुसार, इस घोटाले में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत भी उजागर हुई है।
बता दें कि इस घोटाले में आरोपी बनाए गए 22 आबकारी अधिकारियों को हाल ही में सरकार ने निलंबित किया था। इन सभी पर आरोप है कि शराब घोटाले के सिंडिकेट में ये लोग शामिल थे। इन अफसरों ने 88 करोड़ कमाए थे।
22 अधिकारी हुए थे निलंबित
इस घोटाले की परतें खुलने के साथ ही राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। आरोप है कि इन अधिकारियों ने शराब कारोबार से अवैध रूप से 88 करोड़ रुपये की कमाई की और पूरे सिंडिकेट का हिस्सा थे।
- जनार्दन कौरव, पिता पंचम सिंह, उम्र 50 वर्ष, सहायक जिला आबकारी अधिकारी।
- अनिमेष नेताम, पिता आनंद नेताम, उम्र 49 वर्ष, उपायुक्त आबकारी।
- विजय सेन शर्मा, पिता पीसी सेन शर्मा, उम्र 48 वर्ष, उपायुक्त आबकारी।
- अरविंद कुमार पाटले, पिता नेवल सिंह पाटले, उम्र 49 वर्ष, उपायुक्त आबकारी।
5.प्रमोद कुमार नेताम, पिता स्व. श्याम लाल नेताम उम्र 60 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी। - रामकृष्ण मिश्रा, पिता शैलेन्द्र मिश्रा, उम्र 36 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी।
- विकास कुमार गोस्वामी, पिता विनोद गोस्वाम, उम्र 44 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी।
- इकबाल खान, पिता महूम मोहम्मद स्माईल खान, उम्र 56 वर्ष, जिला आबकारी अधिकारी।
- नितिन खंडुजा, पिता रवीन्द्र खंडुजा, उम्र 53 वर्ष, सहायक जिला आबकारी अधिकारी।
- नवीन प्रताप सिंग तोमर, पिता भगवान सिंह तोमर, उम्र 43 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी।
- मंजुश्री कसेर, पति रामचन्द्र सारस, उम्र 47 वर्ष, सहायक आबकारी अधिकारी।
- सौरभ बख्शी, पिता राजीव बख्शी, उम्र 41 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी।
- दिनकर वासनिक, पिता डॉ पीएल वासनिक, उम्र 42 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी।
- मोहित कुमार जायसवाल, पिता रामलाल जायसवाल, उम्र 46 वर्ष, अधिकारी जिला आबकारी।
- नीतू नोतानी ठाकुर, पति मोहन दास नोतानी, उम्र 45 वर्ष, उपायुक्त आबकारी।
- गरीबपाल सिंह दर्दी, पिता दिलबाग सिंह दर्दी, उम्र 59 वर्ष, जिला आबकारी अधिकारी।
- नोहर सिंह ठाकुर, पिता गौतम सिंह ठाकुर, उम्र 45 वर्ष, उपायुक्त आबकारी।
- सोनल नेताम, पिता एम. एस. नेताम, उम्र 36 वर्ष, सहायक आयुक्त, आबकारी।
- प्रकाश पाल, पिता सपन कुमार पाल, उम्र 44 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी।
- अलेख राम सिदार, पिता मुरलीधर सिदार, उम्र 34 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी।
- आशीष कोसम, पिता बृजलाल कोसम, उम्र 50 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी
- राजेश जायसवाल, पिता हरीप्रसाद जायसवाल, उम्र 42 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी।
इन 7 रिटायर अधिकारियों को भी बनाया गया आरोपी
- ए.के. सिंग, पिता अखिलेश्वर सिंह उम्र 62 वर्ष, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
- जे.आर. मंडावी, पिता नंदलाल मंडावी, उम्र 64 वर्ष, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
- जी.एस. नुरूटी, पिता दयाराम नुरूटी, उम्र 63 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी (सेवानिवृत्त)
- देवलाल वैष, पिता स्व गोवर्धन सिंह वैध, उम्र 63 वर्ष, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
- ए.के. अनंत, पिता आशाराम अंनत, उम्र 65 वर्ष, जिला आबकारी अधिकारी (सेवानिवृत्त)
- वेदराम लहरे, पिता जगत राम लहरे, उम्र 66 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी (सेवानिवृत्त)
- एल.एल. ध्रुव, पिता मोतीसिंह ध्रुव, उम्र 66 वर्ष, सहायक आयुक्त आबकारी (सेवानिवृत्त)
CG Liquor Scam: जानिए क्या है शराब घोटाला
छत्तीसगढ में कांग्रेस सरकार के दौरान 2019 से लेकर 2023 तक एफएल-10 नियम बनाकर बिचौलियों के माध्यम से शराब की खरीदी शुरू हुई थी। उस समय सरकारी दुकानों से संगठित रूप से अवैध शराब भी बेची गई। ये 29 आरोपी अधिकारी उन 15 बड़े जिलों में जिला प्रभारी अधिकारी या अन्य पदों पर कार्यरत थे, जहां अन-एकाउंटेंड बिना ड्यूटी पेड शराब की ब्रिक्री शासकीय शराब दुकानों में ड्यूटी पेड शराब के समानांतर की गई। कुछ अधिकारी इस अवैध शराब बिक्री के लिए राज्य स्तर पर समन्वय का कार्य करते थे।
राजनेताओं और पार्टियों को मिला तगड़ा कमीशन
सूत्रों के मुताबिक, घोटाले में पिछली सरकार के प्रभावशाली नेताओं व राजनैतिक पार्टी को 13.92 अरब रुपए बतौर कमीशन मिले। शराब निर्माता भाटिया वाइन मर्चेंट प्राइवेट लिमिटेड, वेलकम डिस्टलरी और छत्तीसगढ़ डिस्टलरी को अवैध शराब बनाने के लिए 358 करोड़ रुपए कमीशन मिला।
कैसे 2200 करोड़ का सिंडिकेट खड़ा हुआ?
जांच एजेंसी की रिपोर्ट (Chhattisgarh Liquor Scam) में खुलासा हुआ है कि इस शराब घोटाले की शुरुआत फरवरी 2019 से हुई। एक संगठित सिंडिकेट ने पूरे प्रदेश में डुप्लीकेट शराब की सप्लाई और अवैध वसूली का जाल बिछाया। शुरू में हर महीने 800 पेटियों की 200 ट्रक डिस्टलरी से निकाली जाती थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 400 ट्रक कर दिया गया। ये शराब दुकानों तक पहुंचाई जाती थी बिना किसी वैध दस्तावेज के।