digital warrant in cg court व्यवस्था न्यायिक प्रक्रिया को और तेज तथा पारदर्शी बनाते हुए ई कोर्ट मिशन मोड़ प्रोजेक्ट और डिजिटल इंडिया पहल के साथ जुडऩे की न्यायालय की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करेगी। इससे न्यायिक प्रक्रिया में और तेज़ी आएगी। समय की भी बचत होगी।
रायपुर। digital warrant in cg court भारत की न्याय व्यवस्था डिजिटल क्रांति के दौर से गुजऱ रही है। जिससे न्याय विभाग भी अछूता नहीं है। न्यायपालिका को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक क़दम उठाते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा वर्चुअल मोड के माध्यम से राज्य के सभी जि़लों में आपराधिक मामलों के लिए ई-समन सुविधा का आधिकारिक शुभारंभ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की अध्यक्षता में किया गया है।
वारंट पहुंचेगा सीधे डिजिटल रूप में
इसी क्रम में प्रधान जिला न्यायाधीश, दुर्ग के निर्देशन में जि़ले के सभी न्यायालयों में नियुक्त कोर्ट मोहर्रिर को इस नई व्यवस्था से रूबरू कराने की पहल करते हुए प्रशिक्षण प्रदान किया गया। ई-समंत्रणाली न्यायिक प्रक्रिया में तकनीकी सुधारों के अंतर्गत समाविष्ट किया गया एक महत्वपूर्ण नवाचार है। ई-समन प्रणाली लागू होने से इसके माध्यम से न्यायालय से जारी समन और वारंट सीधे डिजिटल रुप में संबंधित थानों को प्राप्त होंगे।
digital warrant in cg court ऐसे होगा काम
न्यायालयों में पदस्थ कोर्ट मोहर्रिर संबंधित प्रकरणों में आदेश अनुसार ई-समन और वारंट सीआईएस (केस इंफॉर्मेशन सिस्टम ) के माध्यम से कुछ क्लिक में जारी कर सकेंगे जो सीधे पुलिस विभाग के आईसीजेएस सिस्टम के माध्यम से संबंधित पुलिस थानों में साझा हो जाएंगे। digital warrant in cg court संबंधित थाने के सिपाही उस समन को संबंधित व्यक्ति के घर पहुंचकर, फोटो खींचकर तामील कर रिपोर्ट अपडेट करने के बाद न्यायालय वापस भेजेंगे। इसमें तामील प्रक्रिया की पूरी जानकारी भी हर स्तर पर ऑनलाइन अपडेट होगी।
न्यायिक प्रक्रिया में आएगी तेजी
अब न्यायाधीश एवं न्यायालय के अधिकारी ई समन, वारंट तामील की जानकारी हर स्तर पर ऑनलाइन चेक कर सकेंगे। प्रशिक्षण के दौरान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग ने उपस्थित कोर्ट मोहर्रिर एवं पुलिस आरक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि यह व्यवस्था न्यायिक प्रक्रिया को और तेज तथा पारदर्शी बनाते हुए ई कोर्ट मिशन मोड़ प्रोजेक्ट और डिजिटल इंडिया पहल के साथ जुडऩे की न्यायालय की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करेगी। इससे न्यायिक प्रक्रिया में और तेज़ी आएगी। समय की भी बचत होगी।