Crime News: जब राशन कार्ड बन गया, तो आरोपी सहायक ने पहले ‘मुर्गा’ की मांग की और जब महिला ने पैसे देने की बात कही तो शर्मनाक तरीके से कथित तौर पर बोला – “अब पैसा नहीं चाहिए, एक रात तू चाहिए।”
केशकाल। Crime News: सरकार की योजनाएं गरीबों और जरूरतमंदों के लिए होती हैं, लेकिन जब इन योजनाओं को लागू करने वाले कर्मचारी ही असंवेदनशील और भ्रष्ट निकले तो सोचिए आमजन का क्या हाल होता होगा। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे।
दरअसल, केशकाल विधानसभा क्षेत्र की ईरागांव की एक महिला ने आरोप लगाया है कि उसे राशन कार्ड बनवाने के बदले पंचायत के रोजगार सहायक संजय नेगी ने मुर्गा और बाद में अश्लील मांग की। महिला ने बताया कि जब कार्ड बन गया, तो आरोपी सहायक ने पहले ‘मुर्गा’ की मांग की और जब महिला ने पैसे देने की बात कही तो शर्मनाक तरीके से कथित तौर पर बोला – “अब पैसा नहीं चाहिए, एक रात तू चाहिए।” यह घटना ना केवल सरकारी पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली है, बल्कि आम जनता के विश्वास पर भी आघात करती है।

Crime News: मुर्गे से शुरू हुई मांग, फिर पहुंची अश्लीलता तक
महिला ने पंचायत को दिए अपनी शिकायत में बताया कि उसने अपने परिवार के राशन कार्ड के लिए रोजगार सहायक संजय नेगी से संपर्क किया था। कार्ड बनाने के बाद संजय नेगी ने अनैतिक मांग कर दी। इस दौरान सहायक ने अशोभनीय और अश्लील बात की, जिससे वह और उसका परिवार आहत हो गए।
घटना 26 मई की है। महिला ने यह बात अपने पति को बताई। फिर 15 दिन बाद ग्राम पंचायत में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई।
ग्राम पंचायत और SDM ने लिया संज्ञान
ग्राम पंचायत स्तर पर पंच-सरपंच की उपस्थिति में रोजगार सहायक के खिलाफ उचित कार्यवाही का प्रस्ताव पारित किया गया। मामला बढ़ता देख महिला ने 9 जून को केशकाल जनपद पंचायत कार्यालय पहुंचकर लिखित शिकायत भी की। मामले की जांच के लिए समिति गठित कर दी गई है। आरोप सिद्ध होने पर रोजगार सहायक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सिस्टम पर उठे सवाल
यह मामला न सिर्फ महिला की गरिमा का हनन है बल्कि यह उस व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है जो गरीबों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा का दावा करती है। जब राशन कार्ड जैसे बुनियादी अधिकार को पाने के लिए एक महिला को शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़े, तो यह हमारे लोकतंत्र की विफलता का जीवंत प्रमाण है। सरकार की योजनाएं तभी सफल मानी जाएंगी जब उन्हें ईमानदारी से लागू किया जाए, ना कि उन्हें शर्मनाक सौदों का ज़रिया बनाया जाए।