euthanasia demand by husband in cg : पत्नी गाली देती है, सास ससुर और साला बात–बात में नीचा दिखाते हैं…, छत्तीसगढ़ में प्रताड़ित पति ने मांगी इच्छा मृत्यु, कलेक्टर जनदर्शन में दिया पत्र

On: Wednesday, June 18, 2025 3:07 PM
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euthanasia demand by husband in cg कलेक्टर जनदर्शन में इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। प्रवीण ने अपने आवेदन में बताया कि उसकी पत्नी, सास, ससुर और साले द्वारा लगातार की जा रही प्रताड़ना ने उसे मानसिक रूप से तोड़ दिया है, जिसके चलते वह अब जीने की इच्छा खो चुका है।

रायपुर। euthanasia demand by husband in cg छत्तीसगढ़ के मुंगेली में एक प्रताड़ित पति ने कलेक्टर से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां लोरमी थाना क्षेत्र के निवासी प्रवीण सिंह ने अपनी पत्नी और ससुराल पक्ष पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कलेक्टर जनदर्शन में इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। प्रवीण ने अपने आवेदन में बताया कि उसकी पत्नी, सास, ससुर और साले द्वारा लगातार की जा रही प्रताड़ना ने उसे मानसिक रूप से तोड़ दिया है, जिसके चलते वह अब जीने की इच्छा खो चुका है।

पत्नी करती है गली गालीच

प्रवीण ने कलेक्टर को सौंपे अपने आवेदन में कहा कि उसकी पत्नी आए दिन उसका अपमान करती है, उसे गालियां देती है और रिश्तेदारों के बीच उसकी छवि खराब करती है। ससुराल पक्ष भी उसे नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ता। इस मानसिक यातना से तंग आकर प्रवीण ने इतना बड़ा कदम उठाने की बात कही। इस मामले ने न केवल पारिवारिक विवादों को उजागर किया है, बल्कि पुरुषों के खिलाफ घरेलू उत्पीड़न और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित किया है।

फैमिली कोर्ट भेजा मामला

मुंगेली के कलेक्टर कुंदन कुमार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि यह एक पारिवारिक विवाद का मामला प्रतीत होता है, जिसे समाधान के लिए फैमिली काउंसिलिंग सेंटर भेजा गया है। कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया जाएगा और यदि काउंसिलिंग से हल नहीं निकलता, तो आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस मामले की जानकारी स्थानीय पुलिस अधीक्षक को भी दी गई है, ताकि आवश्यक कानूनी कदम उठाये जा सकें।

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euthanasia demand by husband in cg पुरुषों के लिए नहीं धाराएं

बता दें कि भारत में पुरुषों के लिये घरेलू हिंसा या वैवाहिक प्रताड़ना के खिलाफ कोई विशिष्ट कानून, जैसे कि महिलाओं के लिये घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, नहीं है। हालांकि, प्रताड़ित पति कुछ सामान्य कानूनी प्रावधानों के तहत राहत प्राप्त कर सकते हैं।

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