Froud in fasal beema कलेक्टर के आदेश पर विभागीय अधिकारियों ने जांच की तो मामला सही पाया गया। इसके बाद बीमा राशि मंजूर हुई। संबंधित बीमा कंपनी को भुगतान का आदेश दिया गया। लेकिन इफको-टोकियो बीमा कंपनी ने उक्त आदेश को मामने से इंकार कर दिया।
रायगढ़। Froud in fasal beema छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के किसानों को फसल बीमा राशि के लिए उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाना पड़ा। करीब 7 साल कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार किसानों के पक्ष में फैसला आया। तब जाकर किसानों को बीमा राशि का भुगतान किया गया। साथ ही फोरम ने मानसिक क्षति और वाद व्यय के रूप में किसानों को अतिरिक्त भुगतान करने का आदेश दिया है। बीमा राशि का चेक मिलने से किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई।
Froud in fasal beema इस तरह है घटना
दरअसल, घटना साल 2017 की है। प्रशासनिक गलती और बीमा कंपनी की मनमानी के चलते किसानों को इतनी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। साल 2017 में बरमकेला तहसील के ग्राम पंचायत बहलीडीह के आश्रित ग्राम चारभांठा के 27 किसानों की फसल सूखे से पूरी फसल बर्बाद हो गई थी। Froud in fasal beema किसानों ने समय पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसल का बीमा कराया था जिसके चलते किसानों ने मुआवजे के लिए आवेदन किया।
कंपनी ने आदेश नकारा
तब किसानों को जानकारी हुई कि प्रशासनिक गलती के चलते उनके रिकॉर्ड में तहसील बरमकेला की जगह घरघोड़ा दर्ज हो गया था। इस गलती को सुधारने के लिए किसानों को पहले इस दफ्तर से उस दफ्तर भटकना पड़ा। इस बीच किसानों ने कई बार कलेक्टर जनदर्शन में भी आवेदन दिया।
कलेक्टर के आदेश पर विभागीय अधिकारियों ने जांच की तो मामला सही पाया गया। इसके बाद बीमा राशि मंजूर हुई। संबंधित बीमा कंपनी को भुगतान का आदेश दिया गया। लेकिन इफको-टोकियो बीमा कंपनी ने उक्त आदेश को मामने से इंकार कर दिया।
न्याय की बड़ी जीत
इसके बाद किसानों ने साल 2018 में उपभोक्ता फोरम में याचिका दायर की करीब 7 साल चली कानूनी लड़ाई के बाद फोरम ने किसानों के पक्ष में फैसला दिया। साथ ही यह भी आदेश दिया कि बीमा राशि के साथ मानसिक क्षति के लिए रुपए 10 हजार रुपए और वाद व्यय के रुपए 5 हजार रुपए अतिरिक्त भुगतान किया जाए। Froud in fasal beema रायगढ़ में गुरुवार को किसानों को बीमा राशि का चेक मिला। चेक मिलते ही किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। किसानों ने कहा है कि यह न्याय की जीत है।