Gochar land scam: ग्राम कमलपुर (तहसील लटोरी) में शासकीय गोचर भूमि की अवैध बिक्री का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है।
सूरजपुर। Gochar land scam: जिले के ग्राम कमलपुर (तहसील लटोरी) में शासकीय गोचर भूमि की अवैध बिक्री का सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। आरोप है कि इस घोटाले में भू-माफिया और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत है, जिन्होंने सरकारी जमीन को गैरकानूनी तरीके से बेच डाला।
शिकायतकर्ता शुभम अग्रवाल ने खोली पोल
इस घोटाले की शिकायत स्थानीय निवासी शुभम अग्रवाल ने की है। उन्होंने जिला कलेक्टर को सौंपी शिकायत में पटवारी अलीशा खान और तहसीलदार लटोरी की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। शुभम के अनुसार, ग्राम कमलपुर की खसरा नंबर 1, रकबा 19.16 हेक्टेयर की गोचर भूमि को बिना कलेक्टर की अनुमति के निजी व्यक्ति को बेच दिया गया। भूमि वर्ष 2000 के आसपास भूमिहीन परिवारों को पट्टे पर दी गई थी।
बताया गया कि छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा 165 (1), (7), (9), और (10) का उल्लंघन करते हुए यह जमीन पहले अंकित दुबे के नाम हस्तांतरित की गई, जिसे बाद में पुनः बेच दिया गया। यह भूमि सामुदायिक पशु चरागाह के लिए आरक्षित थी।

Gochar land scam: तहसीलदार को थी मामले की जानकारी
शिकायत में कहा गया है कि तहसीलदार को पूरे मामले की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया। शुभम अग्रवाल ने कलेक्टर से मांग की है कि भूमि को दोबारा गोचर मद में दर्ज किया जाए और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।

ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने दी आंदोलन की चेतावनी
इस मामले को लेकर ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों में भारी आक्रोश है। जिला पंचायत सदस्य नरेंद्र यादव ने इस पूरे प्रकरण को “प्रशासनिक तंत्र की नाकामी और भू-माफियाओं का दुस्साहस” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह संगठित अपराध है, जिसमें पटवारी से लेकर तहसीलदार तक की भूमिका संदिग्ध है। आदिवासी संगठनों ने भी इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन पर बढ़ा दबाव, जांच के आसार
हालांकि, अब तक कलेक्टर कार्यालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, जल्द ही इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए जा सकते हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस बार प्रशासन निष्पक्ष और त्वरित कार्रवाई करेगा। छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता के अनुसार, गोचर भूमि या शासकीय पट्टे की भूमि का बिना कलेक्टर की अनुमति के किसी को बेचना पूर्णतः अवैध है। इस मामले में प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ती जा रही है।
बता दें कि सूरजपुर जिले के कमलपुर में उजागर यह भूमि घोटाला न केवल सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग का मामला है, बल्कि यह आदिवासी अधिकारों के हनन और प्रशासनिक साख पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह मामला बड़े जन आंदोलन में बदल सकता है।