सड़क नहीं, एंबुलेंस नहीं… रास्ते में खुले आसमान के नीचे महिला ने दिया बच्चे को जन्म, फिर 4KM पैदल चली… देखें VIDEO

On: Wednesday, August 6, 2025 3:49 PM
सड़क नहीं, एंबुलेंस नहीं... रास्ते में खुले आसमान के नीचे महिला ने दिया बच्चे को जन्म, फिर 4KM पैदल चली... देखें VIDEO
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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में अभी भी कई ऐसे गांव हैं जो सडक़, पानी, पुलिया जैसे मुलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। यदि समय पर उन्हें अस्पताल पहुंचना हो तो घंटों लग जाते हैं।

बलरामपुर। Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के दूरस्थ पंडो पारा गांव में बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने एक बार फिर सिस्टम की पोल खोल दी है। यहां सड़क और पुल नहीं होने के कारण गर्भवती महिला को 4 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, जिसके बाद रास्ते में ही उसने बच्चे को जन्म दे दिया।

घंटों इंतजार, नहीं आई एंबुलेंस

पूरा मामला वाड्रफनगर ब्लॉक के सोनहत क्षेत्र का है। रविवार को 28 वर्षीय मानकुंवर पंडो को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजनों ने तुरंत 108 एंबुलेंस सेवा को कॉल किया, लेकिन क्षेत्र में पुल और पक्की सड़क न होने की वजह से एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी। एक एंबुलेंस बलरामपुर में व्यस्त थी और दूसरी काफी दूर थी।

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खुले आसमान के नीचे हुई डिलीवरी

एंबुलेंस नहीं आने पर महिला को परिजन पैदल लेकर रघुनाथनगर अस्पताल की ओर निकले। चार किलोमीटर की पैदल यात्रा के दौरान रास्ते में ही महिला की हालत बिगड़ गई। साथ चल रही दो महिलाओं ने खुले आसमान के नीचे ही उसका प्रसव कराया। डिलीवरी के बाद नवजात को लेकर सबने नाला पार किया।

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बाइक पर बैठकर पहुंची अस्पताल

डिलीवरी के बाद प्रसूता सडक़ तक पहुंची, फिर परिजन उसे यहां से 10 किमी बाइक पर बैठाकर रघुनाथनगर अस्पताल पहुंचे। इसकी जानकारी जब वाड्रफनगर बीएमओ डॉ. हेमंत दीक्षित को मिली तो उन्होंने जच्चा-बच्चा को वाड्रफनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। बताया जा रहा है कि बच्चे का वजन 2 किलोग्राम है। बच्चे को विशेष निगरानी में रखा गया है।

मितानिन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की लापरवाही भी उजागर

परिजनों का आरोप है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानिन ने समय पर सहयोग नहीं किया। न समय पर अस्पताल पहुंचने की व्यवस्था हुई और न ही प्राथमिक चिकित्सा। इससे स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की जमीनी हकीकत एक बार फिर सामने आई है।

पुल और सड़क की मांग वर्षों से लंबित

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के समय गांव का संपर्क पूरी तरह टूट जाता है। नाले पर पुल नहीं है और सड़कें कीचड़ से लथपथ हो जाती हैं। ऐसे में न सिर्फ एंबुलेंस, बल्कि सामान्य यातायात भी बंद हो जाता है।

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