Wednesday, December 11, 2024

Hindenburg Research : अडानी मामले में कूदी कांग्रेस बोली-जब सइया कोतवाल तो फिर डर काहे का, जांच जेपीसी से करने की मांग

नई दिल्ली। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने रविवार को पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट में लगे आरोपों की प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड(सेबी) प्रमुख माधुरी बुच के नेतृत्व में जांच चल रही थी,लेकिन दूसरी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने कहा है कि जिस मामले की जांच की जा रही है, उसमें खुद बुच का निवेश है। कांग्रेस ने कहा कि जब सैंया कोतवाल तो जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती इसलिए इस मामले की सेबी से नहीं संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी) से जांच करने की मांग की है।

अडानी ग्रुप ने किया पलटवार

अमेरिकी शोध और निवेश कंपंनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति पर अदाणी से जुड़ी विदेशी कोष में हिस्सेदारी होने का आरोप लगाया है। इस आरोप के बाद अदाणी ग्रुप का रिएक्शन सामने आया है। हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोप पर कहा गया है कि यह दुर्भावनापूर्ण है। हम अदाणी समूह के खिलाफ इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं, जो बदनाम करने की साजिश है। मामले की जांच की जा चुकी है। आरोप निराधार साबित हुए हैं। आरोपों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी 2024 में पहले ही खारिज कर दिया है। अदाणी ग्रुप ने कहा कि ये आरोप दुर्भावनापूर्ण और शरारत भरी है।अदाणी समूह ने शेयर बाजार को दी एक सूचना में कहा कि हिंडनबर्ग के नए आरोप सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचनाओं का दुर्भावनापूर्ण तरीके से छेड़छाड कर परोसा गया है।

सेबी की चेयरपर्सन पर गंभीर आरोप लगाए

अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की उन ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी रही है, जो अडानी ग्रुप की वित्तीय अनियमिताओं से जुड़ी थीं। हिंडनबर्ग ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि सेबी ने अडानी ग्रुप की संदिग्ध शेयर होल्डर कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। यह कंपनियां इंडिया इन्फोलाइन की ईएम रिसर्जेंट फंड और इंडिया फोकस फंड द्वारा संचालित की जाती हैं।

क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च

हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) अमेरिका की एक शॉर्ट सेलर रिसर्च कंपनी है। इस कंपनी का नाम ‘हिंडनबर्ग’ कैसे पड़ा, इसकी कहानी भी दिलचस्प है। थोड़ा पीछे चलते हैं। साल 1937 में जर्मनी में हिटलर का राज था। जर्मनी, टैंक से लेकर हवाई जहाज और फाइटर प्लेन बनाने में जुटा था। एक कॉमर्शियल पैसेंजर प्लेन बनाया और इसका नाम रखा ‘हिंडनबर्ग एयरशिप’ या LZ 129 Hindenburg। यह उस दौर का सबसे बड़ा कॉमर्शियल प्लेन था। 6 मई 1937 को यह जहाज जर्मनी से अमेरिका के लिए उड़ा। न्यूजर्सी के ऊपर पहुंचा तो अचानक तेज धमाका हुआ। नीचे खड़े लोगों ने देखा कि आसमान में आग का गोला जैसा कुछ उड़ रहा है। लोगों के चीखने-चिल्लाने की आवाजें आ रही हैं।

इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते और कुछ कर पाते, जहाज में भीषण लपटें उठने लगीं। 30 सेकंड से भी कम में जमीन पर आ गिरा। जहाज में सवार करीब 100 लोगों में से 35 लोगों की मौत हो गई। रिपोर्ट से पता चलता है कि इस जहाज में हाइड्रोजन गैस के 16 बड़े गुब्बारे थे और पहले भी इस तरह के गुब्बारे से हादसे हो चुके थे। ऐसे में हिंडनबर्ग एयरशिप के हादसे को टाला जा सकता था। इसी मामले के बाद रिसर्च फर्म का नाम पड़ा।

sankalp
Aadhunik

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