लोकसभा मानसून सत्रः बजट में एनपीएस, आयुष्मान भारत पर हो सकती हैं बड़ी घोषणाएं

On: Monday, July 22, 2024 9:21 AM
New Delhi Lok Sabha Monsoon Session Budget
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वित्त मंत्री सीतारमण 2024-25 के लिए सातवीं बार और नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट मंगलवार 23 जुलाई को पेश करेंगीं

नई दिल्ली। लोकसभा का मानसून सत्र आज सोमवार को शुरू हो चुका है। निर्मला सीतारमण लगातार सातवीं बार बजट पेश करेंगी। वहीं अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस सप्ताह पेश होने वाले आम बजट में नई पेंशन प्रणाली और आयुष्मान भारत जैसी सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं को लेकर कुछ घोषणाएं हो सकती हैं। उनका मानना है कि आयकर के मामले में राहत की उम्मीद कम है।

अर्थशास्त्रियों का यह भी कहना है कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बुनियादी ढांचे पर जोर, ग्रामीण और कृषि संबंधी आवंटन बढ़ने और सूक्ष्म तथा लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाये जाने की संभावना है।

बता दें कि वित्त मंत्री सीतारमण 2024-25 के लिए लगातार सातवीं बार और नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट मंगलवार यानी 23 जुलाई को लोकसभा में पेश करेंगीं। बजट में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लेकर अर्थशास्त्री और राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) में प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बजट में एनपीएस और आयुष्मान भारत पर कुछ घोषणाओं की उम्मीद है। पेंशन योजनाओं को लेकर राज्यों के स्तर पर काफी चर्चा हुई है।

केंद्र सरकार ने एनपीएस (नई पेंशन प्रणाली) को लेकर समिति भी गठित की थी। प्रधानमंत्री ने आयुष्मान भारत के बारे में कुछ बातें कही हैं। ऐसे में दोनों योजनाओं में कुछ घोषणाओं की उम्मीद की जा सकती है।”

70 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को मिलेगी बड़ी राहत
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए कहा था कि 70 साल से ऊपर के सभी नागरिकों को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान योजना के दायरे में लाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी का ध्यान निवेश के जरिये लोगों के मान-सम्मान और बेहतर जीवन तथा रोजगार सुनिश्चित करने पर है।

हमें स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता है
एनपीएस और आयुष्मान भारत के बारे में अर्थशास्त्री और शोध संस्थान आरआईएस (विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘यह काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र है। प्रमुख कार्यक्रम पहले से ही पूर्ण लक्ष्य तक पहुंचने के करीब हैं, इस दिशा में नए उपायों की उम्मीद की जा सकती है।” इस संबंध में एनआईपीएफपी में प्रोफेसर लेखा चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘महामारी के बाद की राजकोषीय रणनीति में सामाजिक सुरक्षा योजनाएं महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, स्वास्थ्य क्षेत्र में बीमा योजनाएं इस प्रणाली को और अधिक महंगा बनाती हैं। बीमा योजनाओं के बजाय हमें मजबूत स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता है।”

जीएसटी परिषद को अपनी दरों को कम करने विचार करना चाहिए
लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बीच बजट में कर मोर्चे पर राहत के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि चुनाव नतीजों का प्रत्यक्ष कर नीति पर असर पड़ेगा। चूंकि निजी खपत चिंता का विषय है, ऐसे में जीएसटी परिषद को अपनी दरों को कम करने पर विचार करना चाहिए, खासकर तब जब कर संग्रह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है।” चतुर्वेदी ने भी कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि बजट में इस संबंध में कुछ होगा।”

खर्च करने लायक आय में वृद्धि होगी
म्यूनिख स्थित इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस की संचालन प्रबंधन मंडल की सदस्य भी जिम्मेदारी निभा रही चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘कर दरों में कमी से लोगों के हाथों में खर्च करने लायक आय में वृद्धि होगी और यह उपभोग को बढ़ावा दे सकता है। लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि देश की आबादी का केवल एक छोटा हिस्सा (लगभग चार प्रतिशत) ही आयकर अदा करता है।”

तीन प्राथमिकताएं महत्वपूर्ण
बजट में प्राथमिकता के बारे में आरबीआई निदेशक मंडल के सदस्य की भी जिम्मेदारी निभा रहे चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘बजट में पहले से चिन्हित सभी सात प्राथमिकताओं, समावेशी विकास, अंतिम छोर तक पहुंच, बुनियादी ढांचा और निवेश, क्षमता का उपयोग, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र के विस्तार… पर ध्यान जारी रखा जाना चाहिए। ” उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में, बजट के लिए तीन प्राथमिकताएं महत्वपूर्ण हैं।

प्राथमिकताओं में ये शामिल
पहला, पूंजीगत व्यय को संदर्भ बिंदु के रूप में रखते हुए बुनियादी ढांचे के विकास पर लगातार ध्यान देना। दूसरा, ग्रामीण और कृषि संबंधी आवंटन को बढ़ावा देना और अंत में, सूक्ष्म और लघु उद्यमों को अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। इन तीन उपायों से न केवल अन्य क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा बल्कि अर्थव्यवस्था में रोजगार भी बढ़ेगा।”

कुछ दीर्घकालिक सुधार करने पर होनी चाहिए
भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘प्राथमिकता वृद्धि के लिए मध्यम अवधि की नीतियों के साथ निरंतरता बनाए रखने और विकसित भारत की दिशा में कुछ दीर्घकालिक सुधार करने पर होनी चाहिए। इसके अलावा राज्यों के पूंजीगत व्यय को समर्थन प्रदान करने के साथ-साथ सार्वजनिक पूंजीगत व्यय जारी रखकर अर्थव्यवस्था की संभावित वृद्धि दर आठ प्रतिशत लाने पर होनी चाहिए।” चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘यह आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने वाला बजट होगा। हालांकि, वित्त मंत्री के लिए राजकोषीय मजबूती के रास्ते से हटने की गुंजाइश बहुत कम है।”

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