Protest against Adani underground coal mines: धरमजयगढ़ जनपद पंचायत क्षेत्र के तीन प्रभावित गांव के ग्रामीणों ने प्रशासन के प्रस्तावित जनसुनवाई कार्यक्रम का विरोध जताया है। ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी कीमत पर वे जनसुनवाई को होने नहीं देंगे।
रायगढ़। Protest against Adani underground coal mines: अडानी ग्रुप की प्रस्तावित भूमिगत कोयला खदान को लेकर रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ क्षेत्र में ग्रामीणों का विरोध लगातार जारी है। कंपनी और प्रशासन द्वारा दावा किया गया कि प्रभावित ग्रामीणों को पर्यावरण जनसुनवाई के लिए राजी कर लिया गया है, लेकिन वास्तविक स्थिति कुछ और ही दिख रही है। प्रभावितों से बातचीत में स्पष्ट हुआ कि उनका विरोध अभी भी जारी है और उन्होंने जनसुनवाई रद्द करने के अपने संकल्प पर अड़िग रहने का फैसला किया है।
दरअसल, धरमजयगढ़ जनपद पंचायत क्षेत्र के तीन प्रभावित गांव- पुरुंगा, साम्हरसिंघा और तेंदूमुड़ी के ग्रामीणों ने प्रशासन के प्रस्तावित जनसुनवाई कार्यक्रम का विरोध जताया है। ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी कीमत पर वे जनसुनवाई को होने नहीं देंगे।
Protest against Adani underground coal mines: ग्रामीणों ने जताया विरोध
बीते गुरुवार को धरमजयगढ़ जनपद पंचायत के सभागार में पुरुंगा, साम्हरसिंघा और तेंदूमुड़ी के सरपंच और उप सरपंचों के साथ बैठक कर संवाद किया गया। इस बैठक के बाद प्रशासन ने दावा किया कि ग्रामीणों ने प्रस्तावित भूमिगत कोयला खदान के संबंध में जनसुनवाई के लिए सहमति दे दी है। हालांकि, जैसे ही यह जानकारी प्रभावित ग्रामीणों तक पहुंची, उन्होंने इस पर गहरा विरोध जताया।
सीधे गांव आकर ग्रामीणों को जानकारी देनी होगी
आज तीनों प्रभावित गांवों के ग्रामीणों ने पुरुंगा में एक लंबी और रणनीतिक बैठक की। बैठक में भारी संख्या में पुरुष और महिला ग्रामीणों के साथ-साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि और एनजीओ के सदस्य भी मौजूद थे। बैठक के दौरान ग्रामीणों ने प्रशासन को स्पष्ट संदेश दिया कि वे किसी भी स्थिति में जनसुनवाई को आयोजित नहीं होने देंगे। उनका कहना था कि यदि प्रशासनिक अधिकारी या कंपनी के प्रतिनिधि उनसे संवाद करना चाहते हैं, तो उन्हें सीधे गांव आकर ग्रामीणों को जानकारी देनी होगी।
ग्रामीणों का यह कदम इस बात का संकेत है कि अडानी ग्रुप की प्रस्तावित भूमिगत कोयला खदान के खिलाफ स्थानीय स्तर पर विरोध व्यापक और संगठित है। क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी जमीन, पर्यावरण और जीवनयापन के अधिकार की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।
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क्या हुआ अभी तक
जिले के धरमजयगढ़ क्षेत्र में मेसर्स अंबुजा सीमेंट लिमिटेड, अडानी पुरुंगा भूमिगत कोयला खदान परियोजना की जनसुनवाई 11 नवंबर को होने वाली है। इसे लेकर आसपास के प्रभावित क्षेत्र में विरोध व्याप्त है। इसे लेकर बुधवार को भी सैकड़ो की संख्या में जनप्रतिनिधि और ग्रामीण इसका विरोध करने और जनसुनवाई रद्द करने के लिए रायगढ़ कलेक्ट्रेट पहुंचे थे।
उसके अगले दिन प्रशासन की मध्यस्थता में 23 अक्टूबर को प्रशासन द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधि और कंपनी के अधिकारियों बीच बैठक की गई। बैठक के बाद एक प्रेस रिलीज प्रशासन द्वारा जारी की गई, जिसमें बताया गया कि प्रशासन की मतदाता के बाद ग्रामीण जनसुनवाई के लिए राजी हो गए हैं।
घना जंगल और हाथियों का प्राकृतिक आवास
बता दें कि यह क्षेत्र पेशा कानून के अंतर्गत आता है और ग्राम सभा ने इस परियोजना को स्वीकृति नहीं दी है। यह क्षेत्र पांचवीं अनुसूची में शामिल है तथा छत्तीसगढ़ पेशा अधिनियम 2022 के तहत संरक्षित है। प्रस्तावित खनन क्षेत्र में कोकदार आरक्षित वन क्षेत्र आता है, जो अत्यंत घना जंगल है और हाथियों का प्राकृतिक आवास है।
ग्रामवासियों ने चिंता व्यक्त की कि भूमिगत खनन से विशाल गड्ढों में जल भराव होगा, जिससे आस-पास के नदी-नालों के जल स्रोत सूख सकते हैं, और जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।धरमजयगढ़ वनमंडल में अब तक 167 ग्रामीणों की मृत्यु हाथियों के हमलों में और 68 हाथियों की मौत दर्ज की जा चुकी है। वहीं छाल रेंज में 54 ग्रामीणों और 31 हाथियों की मौत हुई है। ग्रामीणों ने चेताया कि खनन शुरू होने से जंगली हाथियों के विचरण क्षेत्र में बाधा, ध्वनि और वायु प्रदूषण, तथा ग्रामवासियों की जान-माल को खतरा बढ़ जाएगा।






