Breaking News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में गुरुवार को गेवरा कोलफील्ड में भू-विस्थापितों और सीआईएसएफ के बीच हुई झड़प ने जिले में हड़कंप मचा दिया। इस दौरान 4 लोगों की घायल होने की खबर है।
कोरबा। Breaking News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में गुरुवार को गेवरा कोलफील्ड में भू-विस्थापितों और सीआईएसएफ के बीच हुई झड़प ने जिले में हड़कंप मचा दिया। जानकारी के अनुसार, साऊथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SCEL) की गेवरा खदान में प्रदर्शन कर रहे भू-विस्थापितों पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने अचानक लाठीचार्ज कर दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
यह प्रदर्शन अखिल भारतीय किसान सभा के तत्वाधान में किया जा रहा था। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे लंबे समय से SCEL से रोजगार, बसावट और मुआवजे की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा।
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शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान हिंसा
जानकारी के अनुसार, गेवरा क्षेत्र के प्रभावित गांवों के भू-विस्थापित किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। प्रदर्शन स्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस और सीआईएसएफ के जवान तैनात थे।
अधिकारियों की ओर से भू-विस्थापितों से वार्ता के प्रयास भी किए जा रहे थे, लेकिन इसी दौरान सीआईएसएफ के एक अधिकारी द्वारा कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों के साथ अभद्र व्यवहार और गाली-गलौज की गई। इसके बाद अचानक लाठीचार्ज शुरू हो गया, जिसमें कम से कम चार लोग घायल हुए। घायल प्रदर्शनकारियों को जबरन उठाकर दीपका थाना ले जाया गया।
घटना के बाद प्रदर्शनकारी आक्रोशित होकर दीपका थाना पहुंचे और मामले में तुरंत कार्रवाई की मांग की। फिलहाल, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को समझाइश देकर मामला शांत करने का प्रयास किया है।
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किसान सभा ने जताया विरोध
छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि “SCEL के तानाशाह महाप्रबंधक के इशारे पर सीआईएसएफ द्वारा भू-विस्थापितों पर किया गया यह लाठीचार्ज निंदनीय है। भू-विस्थापितों की समस्याओं का समाधान किए बिना खदान विस्तार की किसी भी स्थिति में अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर प्रबंधन जबरन विस्तार की कोशिश करता है तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा।”
प्रशांत झा ने मांग की कि प्रभावित प्रत्येक छोटे खातेदार को नियमित रोजगार, उचित मुआवजा और पुनर्वास की सुविधा दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि नए और पुराने मुआवजा प्रकरणों में की जा रही कटौती तत्काल बंद की जाए और विस्थापितों के साथ न्याय किया जाए।
SCEL की ओर से चुप्पी
वहीं इस मामले पर SCEL प्रबंधन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन स्थानीय सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन मामले की जांच करने और विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहा है। घटना के बाद स्थानीय लोग और प्रदर्शनकारी गुस्से में हैं। उनका कहना है कि खदान विस्तार की प्रक्रिया में उनकी उपेक्षा की जा रही है और उनका हक लगातार दबाया जा रहा है। प्रदर्शनकारी चेतावनी दे रहे हैं कि यदि उनकी मांगों को तुरंत नहीं माना गया तो आंदोलन और तेज होगा।






